रिहाई मंच ने आज़मगढ़ के बीडीसी सुरेंद्र यादव की हत्या के बाद उनके परिजनों से की मुलाकात, कहा कानून व्यवस्था सामन्तों के हवाले।
आज़मगढ़ में बीडीसी सुरेंद्र यादव की हत्या के बाद रिहाई मंच ने परिजनों से की मुलाकात, कहा कानून व्यवस्था सामन्तों के हवाले।
जनप्रतिनिधि मार दिया जाता है हत्यारों की गिरफ्तारी तो दूर डीएम-एसपी शोक संवेदना तक जाहिर नहीं करने जाते।
हत्यारों को तत्काल गिरफ्तार किया जाए, पीड़ित परिवार को एक करोड़ रूपए मुआवज़ा, बच्चों को मुफ्त शिक्षा, पत्नी को सरकारी नौकरी और सुरक्षा खतरों को देखते हुए अविलंब शस्त्र लाइसेंस जारी करे सरकार
आज़मगढ़/लखनऊ 25 अगस्त 2020. रिहाई मंच प्रतिनिधिमंडल ने दिवंगत सुरेंद्र यादव के गांव नवादा का दौरा कर परिजनों से मुलाकात की. मंच ने दलितों और पिछड़ों पर बढ़ते हमलों और हत्या की घटनाओं को फासीवादी–सामंती विस्तार बताया. प्रतिनिमण्डल में मसीहुद्दीन संजरी, सालिम दाउदी, विनोद यादव, उमेश कुमार, राहुल सिंह, अरविंद शामिल थे.
रिहाई मंच से परिजनों ने बताया कि कल रात करीब 9 बजे 36 वर्षीय सुरेंद्र यादव तेरहीं भोज से वापस लौट रहे थे. जैसे ही वे गांव से करीब चार सौ मीटर पर स्थित नवादा चौराहे पर पहुंचे पहले से घात लगाए हत्यारों ने करीब से गोली मारकर उनकी हत्या कर दी. गोली की आवाज़ सुनते ही जनता घटना स्थल की तरफ दौड़ी लेकिन कोई कुछ समझ पाते उससे पहले ही तीन बाइक सवार हत्यारे बाइक छोड़कर फरार हो गए. क्षेत्र पंचायत सदस्य को खून में लतपत देख आक्रोशित जनता ने तीन बाइक को आग के हवाले कर दिया.
ग्रामीणों ने आज अपरान्ह पोस्टमार्टम से लाश के वापस आते ही हत्यारोपियों को तत्काल गिरफ्तार करने समेत पीड़ित परिवार को एक करोड़ रूपये मुआवज़ा, अनाथ बच्चों की मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था, विधवा पत्नी को भरण पोषण योग्य सरकारी नौकरी और सुरक्षा खतरों को देखते हुए अविलंब शस्त्र लाइसेंस जारी करने की मांग की. मौके पर किसी बड़े प्रशासनिक अफसर के मौजूद न होने से आक्रोशित भीड़ लाश को लखनऊ बलिया मार्ग पर रखकर अपनी मांगों के समर्थन में धरना देने के प्रयास में बढ़ने लगी. बढ़ते जनदबाव को देखते हुए एडीएम ने मांगे स्वीकार किए जाने का आश्वासन देकर नवादा चौराहे वापस भेज दिया.
रिहाई मंच ने कहा कि प्रशासन घटना स्थल नवादा चौराहे पर भारी संख्या में पीएसी और आरएएफ के जवान तैनात कर गंभीरता दिखाने का प्रयास कर रहा है. पर जिलाधिकारी या पुलिस कप्तान जैसे बड़े अधिकारियों में से किसी का मौके पर नहीं पहुंचना सवाल उठता है कि एक जनप्रतिनिधि मार दिया जाता है और जिले का प्रशासन संवेदना प्रकट करना भी जरूरी नहीं समझता है. बांसगांव के दलित ग्राम प्रधान सत्यमेव जयते की चिता की आग अभी ठंढी भी नहीं हुई थी कि नवादा में दो बेटियों और एक बेटे के पिता 36 वर्षीय सुरेंद्र यादव की सामंतों द्वारा हत्या से वंचित समाज में आक्रोश बढ़ता जा रहा है.
रिहाई मंच इंसाफ के सवाल पर हर वक़्त पीड़ित परिवार के साथ खड़ा होकर लड़ाई लड़ेगा. मंच ने कहा कि बढ़ते जातीय संघर्ष ने साफ कर दिया है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं रह गई.
द्वारा-
राजीव यादव
महासचिव, रिहाई मंच