PUCL का अन्य मानवाधिकार संरक्षक संगठनों से अपील : डॉ सुनीलम

Spread the love

साथियों,

पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) समान विचारधारा वाले संगठनों से अपील करता है कि वे आगे बढ़कर नागरिक अधिकारों के लिये, 28 अगस्त से 5 सितंबर, सप्ताह भर चलने वाले प्रदर्शनों में शामिल होंने के लिये जनता का आह्वान करें।

आज देश एक ऐसे कठिन दौर से जूझ रहा है, जिसमें उन तमाम लोगों के मौलिक अधिकारों की बलि दी रही है जो सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद करते हैं और उसका शांतिप्रिय तरीके से विरोध करने के लिये एकजुट होते हैं।

हम जिस दौर का हिस्सा हैं:

• उसमें भीमा कोरेगांव षड्यंत्र मामले में 12 प्रसिद्ध वकील, प्रोफेसर, शिक्षाविद, लेखक, कार्यकर्ता जेल में हैं; उनमें से कुछ तो अब दो साल से जेल में ही हैं ।
• समान नागरिकता के लिए चल रहे आंदोलन के 20 साथियों, जो सीएए-एनआरसी से जुड़े विरोध प्रदर्शनों का हिस्सा या उसके समर्थक थे, को UAPA के अंतर्गत साजिश और कई अन्य मामलों में झूठा आरोप लगाकर आईपीसी और अन्य विशेष कानूनों के तहत गिरफ्तार किया गया है,
• उत्तर-प्रदेश में सीएए-एनआरसी से जुड़े विरोध प्रदर्शनों का हिस्सा रहे प्रदर्शनकारियों की अपनी व्यक्तिगत संपत्तियों को गैरकानूनी ढ़ंग से नीलाम करके विरोध प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की उगाही की जा रही है ।
• देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मुखर व्यक्ति को अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया जा रहा है ।
• कई पत्रकारों पर सरकारी नीतियों और उनके कार्यान्वयन के दौरान हुई समस्याओं को इंगित करने के लिए आरोप लगाये गये हैं, और उनमें से कईयों को गिरफ्तार किया गया है ।
• दिल्ली के दंगों और भीमा कोरेगांव मामले में कई बुद्धिजीवियों, कार्यकर्ताओं, ट्रेड यूनियनों और अन्य लोगों को लगातार तलब किया गया है। और फिर मीडिया के एक वर्ग के द्वारा लगातार मीडिया-ट्राईल कर इस प्रक्रिया को खुद में ही एक सजा सरीखा बनाया जा रहा है, जबकि इनमें‌ से कई मामले सही अदालतों में गलत साबित होंगे ।
• कई कश्मीरी एक साल से भी अधिक समय से अपने ही घरों या जेलों में नज़रबंद हैं ।

हमें इन तमाम जोर-जुल्मों का सहभागी नहीं बनना चाहिये।

28 अगस्त को दो साल पूरे हो जायेंगे जब पुलिस ने पांच प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ताओं सुधा भारद्वाज, वरवारा राव, अरुण फरेरा, वर्नोन गोंसाल्वेस और गौतम नवलखा को गिरफ्तार किया, जो आज तमाम अन्य लोगों के साथ जेलों में बंद हैं।
5 सितंबर को गौरी लंकेश की हत्या की तीसरी वर्षगांठ होगी, एक ऐसी निर्भीक पत्रकार, जिसे किसी अन्य तरीके से चुप नहीं कराया जा सका।

हम संगठनों से अपील करते हैं कि वे PUCL के आह्वान का समर्थन सहमति पत्र को भरकर करें।PUCL एक वेबिनार भी आयोजित कर रहा है: TWO YEARS AND COUNTING  भीमा कोरेगांव षड्यंत्र केस का पुनरीक्षण, शनिवार 29 अगस्त, 2020 को शाम 4 बजे से 7 बजे तक। विवरण शीघ्र ही साझा किया जाएगा। कृपया इसमें शामिल हों।

श्री रवि किरण जैन, अध्यक्ष, पीयूसीएल
डॉ. वी. सुरेश,महासचिव, पीयूसीएल

Leave a Reply