‘ Plurals ‘ is doing Singular politics in Bihar
बिहार मे JDU के पुर्व मंत्री श्री विनोद चौधरी की लंदन में पढ़ी सुपुत्री अब खुद को बता रही बिहार के मुख्यमंत्री पद की दावेदार ।
प्रिया जनता दल यूनाइटेड के पूर्व एमएलसी विनोद चौधरी की बेटी हैं | उन्होंने अपनी पढ़ाई लंदन में पूरी की। प्रिया ने अपने वेबसाइट पर लिखा है कि वे डेवलपमेंट स्टडीज में पोस्ट ग्रेजुएट हैं तथा उन्होंने मास्टर्स इन पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स एंड पॉलीटिकल साइंस से किया है।
लंदन में रहने वाली पुष्पम प्रिया चौधरी ने खुद को बिहार के मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित किया है। प्रिया असल में बिहार के दरभंगा जिले की रहने वाली है। अपने एक सोशल मीडिया पोस्ट पर उन्होंने खुद को PLURALS नामक एक संस्था का प्रेसिडेंट तथा खुद को 2020 बिहार विधान सभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री पद का दावेदार बताया है।
लोकतन्त्र मे जनता को अपने मन मर्जी का उम्मीदवार चुनने का हक होता है । लेकिन प्रिया के PLURALS ने जनता से ये हक छिन लिया है।
प्लूरल्स ने जनता के सामने केवल एक सिंगुलर ऑप्शन दिया है :
सिर्फ और सिर्फ
‘ पुष्पम प्रिया ‘
जनता अक्सर उन नेताओ के बच्चो से दूरी महसूस करती है जो उनपर जबर्दस्ती बाहर से लाकर थोप दिये जाते है ।अक्सर संस्कृति ,सोच व समझ का फर्क ये सोचने पर जनता को मजबूर करती है । उदाहरण के तौर पर चिराग पासवान ,सुपुत्र श्री राम विलास पासवान । लोग मे डर की भावना होती है इन नेताओ के बच्चो के प्रति जो अचानक से विदेश से हवाई जहाज मे लाकर जनता के समक्ष लॉंच कर दिये जाते है । जनता इनसे जुड़ाव कभी नही महसूस करती है । जनता उन जनप्रतिनिधियों से ज्यादा जुड़ाव महसूस करते है जो उनके जमीन से हो, उनकी भाषा व संस्कृति से जुड़ा रहा हो ।
प्रिया का प्रचार तंत्र लाजवाब है । जैसे ही लॉंच हुई ,वैसे ही मीडिया ने हाथो हाथ थाम लिया । प्रिया जी का भी जनता से जुडने का अंदाज बिलकुल आधुनिक जमाने के है । वो अपनी बात अक्सर अखबार मे बड़े बड़े विज्ञापनो ,सोशल मीडिया जैसे फेसबुक व ट्वीटर के जरिये रखती है । जो काम करने मे नए नेताओ को 5-7 साल अपने क्षेत्र मे घूम घूम केआर जन संपर्क करने मे लग जाता है ,प्रिया ने चमत्कारी प्रचार तंत्र के माध्यम से कुछ हफ़्तों मे कर लिया है ।
कहा जाता है बिहार वासी उड़ती चिड़िया को हल्दी लगा देते है राजनीति मे । वो जनता अपने जन प्रतिनिधि कैसा पसंद करती है ,ये तो आने वाला समय ही बता सकता है ।
प्रिया ने अपने कई ट्वीट के जरिये बिहार के लोगों को संबोधित करते हुए यह कहा है कि बिहार को तरक्की चाहिए । बिहार को उड़ने की उमंग है और यह सब कुछ बिहार में हो सकता है। आगे कहती है कि गन्दी राजनीती का त्याग करिये और उनकी संस्था PLURALS से जुड़कर बिहार को नई उड़ान दीजिए।
उनके वेबसाइट पर एक संदेश लिखा है कि,”मैं बिहार के अक्षम और असंवेदनशील राजनेताओं को चैलेंज कर रही हूं सिस्टम बदलने के लिए मुझसे जुड़े ,चैलेंज ही चेंज है।”
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर प्रिया ने बिहार के अखबारों में पूरे पन्ने का एक विज्ञापन देकर अपने संस्था PLURALS और अपने लक्ष्य के बारे में जानकारी दी। विज्ञापन में उन्होंने यहां तक कहा कि अगर वे बिहार की मुख्यमंत्री बनती हैं तो बिहार सबसे उन्नत राज्यों में से एक हो जाएगा।हालांकि विज्ञापन देने से पहले प्रिया एकदम अनजान चेहरा थी लेकिन विज्ञापन के बाद से प्रिया के नाम से सुर्खियां बन रहे हैं और कई लोग अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। फेसबुक व टिवीटर पर खूब छा गई है ।
एक बात से चूक गई प्रिया यहा पर । महिला होकर वो महिला हक व हितो की बात नही करती दिखती है । महिलाओ को संपत्ति मे बराबरी का हिस्सेदारी, घरेलू हिंसा , बलात्कार जैसे मामलो पर उन्होने अभी चुप्पी साध रखी है । वो सिर्फ विकास की बात करती है । वैसे देश के प्रधानमंत्री भी विकास की ही सिर्फ बात करते है ।पर जनता आज कल उनके विकास से नाखुश लगती है । पर
प्रिया ने जनता के समक्ष अपने वेबसाइट के माध्यम से एक सकारात्मक सोच प्रस्तुत करने की कोशिश की है तथा लोगों में ये उम्मीद जगाने की कोशिश की है कि बदलाव हो सकता है।
वैसे तो ‘विकास ‘ ,’नई किस्म का देश’ , ‘अच्छे दिन का सपना’ व सब युवा को ‘रोजगार’ बिहार के साथ साथ पूरे देश के निवासीयों ने देख लिया है ।’ लोकल के लिए वोकल ‘ के समय जनता चाहती है की बिहार के मिट्टी से जुड़े काबिल और होनहार नौजवान आगे आकर बिहार की बागडोर संभाले ।इस रेस मे जनता के सामने कुछ चेहरे पहले से ही मौजूद है जैसे तेजस्वी ,मुकेश साहनी , चिराग ,चंद्रशेखर इत्यादि ।
अब देखना यह है कि प्रिया और उनकी प्लूरलस आगे आने वाले दिनों में किस तरह से बिहार की जनता से कितना जुड़ पाती है और कितनों तक अपनी इस स्वप्न को पहुंचा पाती है ।जिस तरीके से उनकी लैंडिंग जनता के सामने हुई है ,पूरे प्रचार तंत्र के साथ ,फिर भी उनके लिए रह आसान नही होगी । ये लोकतंत्र मे राजनीति है ।यहा पैदल चलना ही पड़ेगा । जनता की बात करनी ही पड़ेगी । सुहाने सपने हर बार जनता के बीच नही बिका करते है । विकास अगली सीढी है ,पहली है जनता के हुकुक । यदि हुकुक की सलामती की गारंटी नही है लोकतन्त्र मे ,तो बाकी वादे भी फीके पर जाते है । राज परिवारों के राजकुमारो व राजकुमारियों के राजनीति का दौड़ खत्म हो चुका है । जो जितनी जल्दी से जमीन पर चलना सीख जाता है ,वो उतनी ही जल्दी अपने पथ पर ठीक से खड़ा होकर चल पाता है ।