25 अगस्त:बी पी मंडल जी को उनके जन्मशती पर पुरे देश मे किया गया याद ,दी गई श्रद्धांजली ।

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बी.पी. मंडल जयन्ती: सामाजिक न्याय की लड़ाई तेज करने के संकल्प का दिन ।

“मंडल कमीशन ने ही ओबीसी के लिए सामाजिक न्याय का रास्ता खोलने का काम किया. इसी कमीशन की सिफारिशों के आधार पर केंद्र सरकार की नौकरियों में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण मिला. एक अन्य सिफारिश के आधार पर केंद्रीय शिक्षा संस्थानों में दाखिले में भी ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया. इस आयोग की 40 सिफारिशों में 2 को छोड़कर शेष अभी तक लागू नहीं किया गया है. एक तो 54 प्रतिशत आबादी को केवल 27 प्रतिशत आरक्षण मिला. उसमें भी आरक्षण लागू करने में बेईमानी व गड़बड़ी लगातार जारी है.”

श्री राजीव यादव, महासचिव रिहाई मंच, के द्वारा दिया गया ये नारा “बहुजन एकजुटता और सामाजिक न्याय की लड़ाई तेज करने संकल्प का लें ‘  और   ‘हमारे नायक-हमारी विरासत, हमारा एजेंडा-हमारी दावेदारी’ अभियान की शुरुआत की गई ।

कोरोना के समय सोशल मीडिया के माध्यम से  बहूजन समाज के बहुत से प्रखर वक्ताओ ने  सामाजिक-न्याय-आंदोलन पर अपनी बात रखी और  बी.पी.मंडल जी को औनलाइन श्रद्धांजलि देने के साथ उनके जीवन-संघर्ष, मंडल कमीशन की सिफारिशों, मंडल राजनीति की दशा-दिशा और सामाजिक न्याय की लड़ाई के समक्ष खड़ी चुनौतियों पर चर्चा की ।बहुजन नायकों की विरासत और बहुजनों की सामाजिक-राजनीतिक दावेदारी को बुलंद करने के आह्वान के साथ ‘हमारे नायक-हमारी विरासत, हमारा एजेंडा-हमारी दावेदारी’ अभियान जारी है. यह अभियान रिहाई मंच और सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) द्वारा चलाया जा रहा है.

ओबीसी रेलवे एम्पलॉइज फेडरेशन एसोसियेशन कोटा(राजस्थान) के कार्यालय में ,ओबीसी के मसीहा, समानता और सामाजिक न्याय के प्रबल समर्थक, पिछड़ों की प्रतिनिधित्व की लड़ाई के प्रयोद्धा,बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व संसद सदस्य,मण्डल आयोग के अध्यक्ष, स्वर्गीय श्री विंदेश्वरी प्रसाद मंडल उर्फ़ वी पी मंडल की जन्म जयंती मंडल साहब के चित्र पर फूल माला अर्पण कर, ओबीसी रेल कर्मचारियों द्वार मनाई गई।
जयंती के अवसर पर ओबीसी रेल कर्मचारियों द्वारा भारत सरकार से मांग की गई।
(1) ओबीसी की नॉन क्रीमीलेयर के सम्बन्ध में , श्री बी पी शर्मा की रिपोर्ट निरस्त की जाए।
(2) ओबीसी में क्रीमीलेयर की अवधारणा समाप्त की जाए।
(3) ओबीसी के सम्बन्ध में, ओबीसी संसदीय कल्याण समिति की रिपोर्ट सरकार लागू करे।
(4) जनगणना में ओबीसी की भी जनगणना की जाए।
(5) रेलवे में निजीकरण रोका जाए।

आंध्र प्रदेश से बहुजन समाज की ओर से दी गई श्रद्धांजली ।बिहार से सामाजिक न्याय संगठन की ओर से दी गई श्रद्धांजली ।

दिल्ली विश्व विद्यालय की ओर से डॉ सूरज मण्डल व डॉ सुधांशु कुमार जी की तरफ से मण्डल जन जागरण कार्यकर्म ।

मंडल कमीशन ने ही ओबीसी के लिए सामाजिक न्याय का रास्ता खोलने का काम किया. इसी कमीशन की सिफारिशों के आधार पर केंद्र सरकार की नौकरियों में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण मिला. एक अन्य सिफारिश के आधार पर केंद्रीय शिक्षा संस्थानों में दाखिले में भी ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया. इस आयोग की 40  सिफारिशों में 2 को छोड़कर शेष अभी तक लागू नहीं किया गया है. एक तो 54 प्रतिशत आबादी को केवल 27 प्रतिशत आरक्षण मिला. उसमें भी आरक्षण लागू करने में बेईमानी व गड़बड़ी लगातार जारी है.

अभियान 19 अगस्त को महामना रामस्वरूप वर्मा परिनिर्वाण दिवस से शुरू हुआ है. जो श्री नारायण गुरु परिनिर्वा ण दिवस-20 सितंबर तक चलेगा. इस बीच 25 अगस्त को बी.पी. मंडल जयंती, 28 अगस्त को अय्यंकाली जयंती, 1 सितंबर को पेरियार ललई सिंह यादव जयंती, 5 सितंबर को जगदेव प्रसाद कुशवाहा शहादत दिवस, 14 सितंबर को चौधरी महाराज सिंह भारती परिनिर्वाण दिवस, 17 सितंबर को ई.वी. रामासामी पेरियार जयन्ती, 18 सितंबर को शिवदयाल सिंह चौरसिया परिनिर्वाण दिवस, 20 सितंबर को श्री नारायण गुरु परिनिर्वाण दिवस है.

2015 तक ओबीसी केन्द्र सरकार की क्लास-A की नौकरियों में 12 प्रतिशत, क्लास-B में 12.5 प्रतिशत और क्लास-C में 19 प्रतिशत हैं. लेकिन ओबीसी का आरक्षण बढ़ाने के बजाए नरेन्द्र मोदी सरकार ने सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण दे दिया है. शुरू में ही क्रीमी लेयर के असंवैधानिक प्रवधान के साथ ओबीसी आरक्षण लागू किया गया और अब केन्द्र सरकार क्रीमी लेयर को पुनर्परिभाषित करने के जरिए ओबीसी आरक्षण को खत्म कर देने की साजिश कर रही है. दूसरी तरफ नरेन्द्र मोदी सरकार रेलवे सहित तमाम सरकारी उपक्रमों को पूंजीपतियों के हवाले कर रही है. निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू नहीं है. निजीकरण अंततः आरक्षण व सामाजिक न्याय के खिलाफ जाता है. बहुजनों की वंचना को बढ़ाता है.

आज के दौर में बी.पी.मंडल को सच्ची श्रद्धांजलि सामाजिक न्याय पर जारी हमले के खिलाफ मंडल कमीशन की शेष सिफारिशों को लागू कराने, सामाजिक-आर्थिक बराबरी और बहुजनों की सभी क्षेत्रों में जनसंख्या अनुपात में हिस्सेदारी की लड़ाई को तेज करने के संकल्प के साथ ही की जा सकती है।

 

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