सत्ता में विराजमान वित्तीय मंत्रालय द्वारा दिखाई गई मृगतृष्णा गैलरी की एक झलक
कुछ लफ्जों मे अपनी जरूरी बात रखनी हो तो उसके कुछ जरिया होते है । जैसे शायरी ,कविता या चित्रकारी । तो अर्थव्यवस्था के हालात बयान करने के लिए आज उनमे से कुछ तरीके हम भी इस्तेमाल करेंगे । सिलसिलेवार क्रम मे शायरी व चित्र । और अंत मे मिलती जुलती कुछ खबरे ।
एक गुजरे हुए वक्त में शौक़ बहराइची साहब ने एक मशहूर शायरी लिखी थी जो हर जमाने के बहुतो के जमीर को जगा गई ।
बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफी है
हर शाख पे उल्लू बैठे हैं, अंजाम ए गुलिस्ताँ क्या होगा ?
तो आज के दौर के शायरों ने भी लिख दिया अर्थव्यवस्था की चरमरा चुकी हालत पर शौक़ बहराईची साहब से प्रेरणा लेकर :
यूं ही बरबाद नही हुआ है अर्थ व्यवस्था के गुलिस्ताँ
बहुत मेहनत लगी है चंद साहिबानों की ।
यह भी कहा जाता है की तस्वीरे बहुत कुछ कह जाती है । तो अब शायरी के बाद तस्वीरों से आप तक बात पहुचाने की कोशिश करूंगा।लीजिये जनता के समक्ष प्रस्तुत है :-
Image Courtesy : NDTV
वित्तीय केविनेट द्वारा दिखाई गई
” मृगतृष्णा गैलरी”
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जीरो से माइनस 23.9 दर पर पहुंची जीडीपी ने दुनिया का ध्यान भारत की ओर खींचा है। इसमें सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या देश की मुद्रा पतन की ओर अग्रसर है।
NDTV की ओर से सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़े के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2020-21 में अप्रैल-जून के दौरान अथर्व्यवस्था (Indian Economy) में 23.9 प्रतिशत की अब तक की सबसे बड़ी तिमाही गिरावट आयी है. इस दौरान कृषि को छोड़कर विनिर्माण, निर्माण और सेवा समेत सभी क्षेत्रों का प्रदर्शन खराब रहा है. दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में इससे पहले जनवरी-मार्च तिमाही में 3.1 प्रतिशत और पिछले साल अप्रैल-जून में 5.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. तिमाही आंकड़े 1996 से जारी किये जा रहे हैं और उस समय से यह अबतक की सबसे बड़ी गिरावट है ।
अमर उजाला ने अर्थव्यवस्था के बारे मे लिखते हुए बताया है की देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में धीमी पड़कर 4.7 फीसदी रही। यह सात साल का सबसे न्यूनतम दर है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के शुक्रवार को जारी आंकड़े के अनुसार इससे पूर्व वित्त वर्ष 2018-19 की इसी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 5.6 फीसदी रही थी।
चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों (अप्रैल-दिसंबर) में आर्थिक वृद्धि दर 5.1 फीसदी रही जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 6.3 फीसदी थी। एनएसओ ने 2019-20 की पहली तिमाही के लिए जीडीपी वृद्धि दर को संशोधित कर 5.6 फीसदी तथा दूसरी तिमाही के लिए 5.1 फीसदी कर दिया है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने पिछले महीने अपने दूसरे अग्रिम अनुमान में 2019-20 में आर्थिक वृद्धि दर 5 फीसदी रहने का अनुमान जताया था। वहीं रिजर्व बैंक ने भी चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 5 फीसदी रहने की संभावना जताई है।
चीन की आर्थिक वृद्धि दर अक्टूबर-दिसंबर 2019 में 6 फीसदी रही जो 27 साल से अधिक समय का न्यूनतम स्तर है। वहीं कैलेंडर वर्ष 2019 में चीन की वृद्धि दर 6.1 फीसदी रही जो तीन दशक में सबसे कम है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, इस वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र में सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) में 0.2 फीसदी की वृद्धि हुई है, जिसमें एक साल पहले 5.2 फीसदी विस्तार था। हालांकि, पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में कृषि क्षेत्र जीवीए की वृद्धि दर 3.5 फीसदी थी।